SEX POWER
हसीन पलों का एहसास - पौरुष शक्ति बढ़ाये, जबरदस्त जोश बढ़ाये पूरी संतुष्टि पाएं
कुछ अपने बारे में
आयुर्वेदिक चिकित्सा को ही ऐसा श्रेय प्राप्त है कि नीरस जीवन को सरस बना दें. हम आयुर्वेदिक विधि द्वारा स्त्री तथा पुरुस के प्रत्येक कठिन व जटिल रोगों की चिकित्सा करते हैं | आयुर्वेदिक चिकित्सा से जटिल से जटिल ओर ऐसी ऐसी शारीरिक शारीरिक व्याधियों का सफल इलाज़ हो जाता है | जिन्हें आज की आधुनिक एलोपैथिक चिकित्सा कठिन सम्भक्ति है| प्राचीन काल में आयुर्वेदिक रीती से ही सभी रोग की चिकित्सा की जाती थी और इसी से रोग आराम भी हो जाते थे लेकिन दुःख तो तो इस बात का है की आज के स्वार्थी लोगों ने प्रलोभन वश प्राचीन शाश्त्रीय योगों में मनचाही परिवर्तन कर आयुर्वेद को बदनाम कर दिया है| इन्ही सब उपरोक्त बातों को ध्यान में रखकर हमने शुद्ध आयुर्वेदिक विधि द्वारा चिकित्सा आरम्भ कर रोगियों को रोग के चंगुल से मुक्त करने का सफल प्रयास किया है | हम आपको यह भी स्पस्ट कर देना चाहते है कि हमारा मुख्य कार्य चिकित्सा ही है | हम रोगियों को सलाह देते हैं की किस प्रकार से उनका रोग दूर होगा और उन्हें कैसी दवा करनी चाहिए, ओषधियाँ रोगी की बीमारी एवं दशा के अनुसार ही बनाए जाती है जिससे रोग नस्त होने में काफी सहायता मिलती है | हमारी ओषधियाँ बिक्री के लिए नही है और न ही बाज़ार में कहीं उपलब्ध है | ये ओषधियाँ उन्ही व्यक्तियों के लिए है जो हमारे रोगी है ओर हम से इलाज़ करवा रहे हैं| नवयुवकों को आवश्यक परामर्श जवानी जीवन का सबसे सुहाना और मस्ताना समय है | जब जवानी आती है तो शरीर में एक अजीब जोश भर उठता है , शरीर अंगडाइयां लेने लगता है | परन्तु पूर्ण ज्ञान न रहने के कारण नवयुवक सही मार्ग से विमुख होकर जलत मार्ग पर चले जाते है , जिससे से योन सम्बन्धी अनेक रोगों से ग्रसित होकर अपने सुनहले जीवन को नस्ट कर देते है , उनका वैवाहिक जीवन भी असफल हो जाता है | आजकल लगभग 80 प्रतिशत लोग योन रोगों के शिकार होने के कारण जीवन के वास्तविक आनन्द से वंचित है | अगर जवानी का प्रयोग सही ढंग से किया जाये और संयम से रहा जाय तो जिन्दगी का सच्चा आनंद मिल सकता है | पर आज के नवजवान अपने ही हाथो अपने जीवन को बर्बाद कर रहे है | जाने अनजाने में अपने ही स्वास्थ के साथ खिलवाड़ कर लेते है कि सारी जिन्दगी उसका फल भोगना पड़ता है जबकि अपना स्वास्थ्य अपने ही हाथो बनाने की उम्र है परन्तु यह दुर्भाग्य की बात है की भविष्य की फिक्र छोड़ कर लोग इसी उम्र में स्वास्थ के साथ सबसे ज्यादा खिलवाड़ कर लेते है , सिर्फ थोड़ी सी सुख की अनुभूति के लिए ही ऐसा कुकृत कर रहे है , यही कारण हैं कि जवानी में ही स्वास्थ नस्ट करने वाले हर आदत को पकड़ लेते है | वे इधर –उधर के गंदे वातावरण , गंदे-गंदे उप्नायासों एवं बुरे लोगों को सोहबत में पकडकर जीवन का सार (वीर्य) नस्ट कर देते है जिससे स्वप्नदोष , नामर्दी ,सिघ्रपतन , इंद्री की शिथिलता , सुजाक ,प्रमेह ,मधुमेह और सुक्रहिनता इत्यादि योन रोगों से ग्रसित हों जाते है, शिशन टेढ़ा और पतला हो जाता है | इंद्री की नसें कमजोर होकर उभर जाते हैं | संयम पूर्वक रहकर अगर जीवन को चलाया जाय तथा निम्नलिखित सुझवों को दृढ़ता पूर्वक पालन किया जाय तो शारीर हमेसा स्वास्थ व निरोग रह सकता है | सुबह सवेरे उठकर प्रतिदिन भ्रमण किया करें | भोजन हल्का व सुपाच्य अर्थार्त जो शिघ्र पच सके वैसा ही करें | सोने के दो – तीन घंटे पूर्व भोजन कर लेना चाहिए , जिससे भोजन अच्छी तरह से पच सके | सोने से पूर्व मूत्र त्याग अवस्य कर लें तथा रात्रि में भी नींद खुले तो पेशाब कर लें | गंदे उपन्यास व अश्लील साहित्य न पढ़ें , मन में गन्दा विचार न पैदा होने दें | किसी भी हालत में कब्ज ना रहने दें , यदि कब्ज हो जाये तो तुरंत इस पर ध्यान दें | वेश्यायों से संपर्क से सदा दूर रहें , उनका संपर्क अनेक रोगों का मूल है ,जीवन को समाप्त कर देता है ,इनकी संगती से तन मन धन तीनो की नाश होती है | अपने गुप्त इंद्री की सफाई प्रतिदिन करें | अन्यथा मैल जैम कर खुजली उत्पन करती है | यदि महिना में एकाद बार स्वप्न दोष हो जाये तो कोई बात नही लेकिन स्वप्नदोष अधिक हो तो उस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए | अप्राकृतिक ढंग से वीर्यपात कभी न करें यदि कोई गन्दी आदत हो तो उसे अवस्य छोड़ दें|पुरुषों के लिए गुप्त रोग
पुरुष की मैथुन या शिशन से संबंधित जो बिकार होते है उसे पुरुष का योन रोग कहते हैं| इन रोगों से पीड़ित व्यक्तियों में शिशन की शिथिलता , काम सकती का आभाव,स्वप्नदोष व शीघ्रपतन आदि बिकार देखने को मिलते हैं | समय पर और ठीक इलाज़ न होने से रोगी का नपुंसकता व शुक्रानुहिनता का रोग हो जाता है जिससे न तो वह अपनी स्त्री को ही तृप्त कर सकता है न ही संतान उत्पति के लायक रह जाता है | योन रोग अर्थार्त गुप्त रोग होने के कई कारण हो सकते है परन्तु मुख्या कारण है, कुसंगति में पडकर विर्यनाश या अधिक भोग विलास | कई युवक छोटी उम्र में ही गुदा मैथुन, हस्त मैथुन, बाजारू नारियों से सम्भोग या अन्य अप्राकृतिक तरीकों से अपने वीर्य का नाश करते है , जिससे उन्हें बाद में पछताना पड़ता है | उनके शिशन में शिथिलता आ जाती है और उन्हें लगता है कि वे सम्भोग के लायक नही हैं | ऐसे युवकों को चाहिए की जब तक वे भली भांति अपना इलाज़ न करा लें, विवाह न करें| यदि विवाह हो चुकी है तो तुरंत चिकित्सा करा लें , क्योंकि योन रोग से पीड़ित व्यक्ति के पास भोग विलास का वह खजाना नही होता जिससे की हम अपनी पत्नी को प्रसन्न रख सकें | फलस्वरूप स्त्री अपनी काम वासना की पूर्ति व संतान उत्पति की लालसा से विवश होकर पराये पुरुषों का सहारा लेती है | जिससे पति पत्नी में लड़ाई झगड़ा व मनमुटाव रहने लगता है | समाज में बदनामी होती है और एक अच्छा खासा स्वर्ग सामान घर पति की मुर्खता के कारण नरक बन जाता है | योन रोग जिस पुरीष में है, उसे अपनी ही स्त्री से कितनी लज्जा उठानी पड़ती है, सम्भोग के समय उसकी क्या हालत होती है और ऐसे व्यक्ति अपने जीवन के बारे में कैसे अनुभव करता है इसे वे जानते हैं जिन्हें इस प्रकार का आभाव है | ऐसे व्यक्ति शर्म से अंदर ही अंदर घुलते रहते हैं, और हर समय शोचनीय अवस्था में दुबे हुए अपने अच्छे भले जीवन को नर्क बना लेते है | लज्जा ,शर्म या अन्य किसी कारण से इलाज से वंचित रहने के सभी विचार गलत हैं , क्योंकि योन रोगों का हो जाना कोई ऐसी बात नही जिसे की अनुभवी चिकित्सा और निपुण इलाज़ के लिए आप हम पर पुर्णतः भरोसा कर सकते हैं | हमारे इलाज़ से आप पुनः निरोग, स्वास्थ व योन रोगों से मुक्त हो जायेंगे | योन रोगों के कारण पुरुष में निर्बलता व कमजोरी आ जाती है, वह हर समय बेचैन व खोया खोया सा रहता है | चेहरा उतरा हुआ प्रतीत होता है | मस्तिस्क में डर , भय व घबराहट रहता है | वायु व पेट के अनेक रोग हो जाते हैं | वैसे व्यक्ति को इन शिकायतों से घबराना नही चाहिए क्योंकि जब योन रोग का उपचार हो जाता है तो शिकायतें स्वयं ही दूर हो जाती है |हस्तमैथुन
हाथ से वीर्य नस्ट करने को हस्तमैथुन कहते हैं | यह जीवन को नस्ट करने वाला आदत है | इस काम को करने वाला दुखदायी जीवन व्यतीत करता है | थोड़ी देर के आनंद के लिए अनेको रोगों से पीड़ित हो जाता है| पहले शारीर के अंदर वीर्य काफी होता है और सब इन्द्रियां मजबूत होती है इस लिए वह रोग के परिणाम से वंचित रहता है परन्तु थोड़े देर बाद जब वाही इन्द्रियां निर्बल हो जाती है और ठीक काम नही देती तो फिर होश आता है और अपने किये कुकर्मो पर पश्चाताप करता है इस बुरी और भयानक क्रिया का असर पुरे शारीर पर पड़ता है | छनिक आनंद जीवन का कितना बड़ा नुक्सान कर जाता है | गुप्त इंद्री टेढ़ी और निर्बल पड़ जाती है , जिसके कारण चैतन्य सकती कम हो जाती है| इंद्री छोटी पद जाती है तथा मोटाई भी कम होने लगती है जिससे स्त्री संतुस्ट नही होती | इंद्री की जड़ पत्लिन पड़ जाती है जिसके कारण जोश के समय इंद्री भली भांति नही तनती और जल्द गिर जाती है | इंद्री की रगें व पठे कमजोर हो जाते हैं और दायें या बाएं की और झुक जाती है व नीली नष उभर आती है | इससे स्त्री को पुरुष से घृणा हो जाती है और साथ सम्भोग करने से वह भिभाकता है थोड़ी सी बात चित करने से दिमाग चकरा जाता है, तबियत में गुस्सा भर जाता है | शारीर निर्बल पड़ जता है तथा इंद्री की खल कलि पड़ जाती है |पूर्ण नपुंसकता
युवा अवस्था में स्त्री सम्भोग या संतान पैदा करने की अयोग्यता को नपुंसकता कहते हैं| इस दसा से सम्भोग की कामना होते हुए भी पुरुष के शिशन में उत्तेजना नही होती | शिशन मास के टुकड़े की भांति बेजान गिरा रहता है | उसका आकर भी कम ज्यादा पतला या टेढ़ा हो जाता है , रंग व नसें उभरी हुए प्रतीत होतें हैं, कामइक्छा होते हुए भी शिशन में तनाव नही आता और यदि पुरुष अपने भरसक प्रयत्न से थोड़ी बहुत अपनी शिशन में उत्तेजना लता भी है तो सम्भोग के समय शिघ्र स्खलित हो जाता है | ऐसे पुरुष को न तो स्त्री प्यार करती है न ही संतान पैदा होता है |अपूर्ण नपुंसकता
इसमें पुरुष की लिंग इंद्रिय भोग के समय उत्तेजित तो होती है परंतु पूर्ण उत्थान नहीं आता और ढीलापन बना रहता है जिससे स्त्री पूरी तरह से तृप्त नहीं होती संभोग के समय शीघ्र पतन हो जाता है , रोग में धातु रोग, स्वप्नदोष व shrinta आदि विकास भी देखने को मिलता है ! सही इलाज से नपुंसकता किस सभी विकार बिल्कुल ठीक हो जाता है और फिर से पुरुष तत्व संभोग क्षमता का अनुभव करता है!स्वप्नदोष
इससे नाईट फॉल या नाइस डिस्चार्ज कहते हैं सोते समय वीर्य का अपने आप निकल जाना स्वप्नदोष कहलाता है ! स्वप्न में रोगी किसी स्त्री को देखता है तथा उससे फॉर भोग विलास करता है, इससे उनका वरीय निकल जाता है! यदि स्वप्नदोष महीने एक आद बार हो जाए तो कोई बात नहीं क्योंकि स्वस्थ व्यक्तियों केवी कभी वीर्य की अधिकता के कारण ऐसा होता है! परंतु जो व्यक्ति स्वप्नदोष के रोगी है उन्हें इस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए! यह प्रायः रात्रि में सोए हुए मैं लिंग में तनाव आकर होता है नींद खुल जाती है परंतु बाद में लिंग इंद्रिय मैं बिना तनाव आए हुए भी हो जाता है उस अवस्था में स्वप्नदोष का पता भी नहीं चलता जब सवेरे नींद खुलती है त उन्हें पता चलता है! इस प्रकार से वीर्य नास शरीर को खोखला बना दीप्ति है इसका असर दिमाग पर पड़ता है तथा स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है रोग को जड़ से पकड़ लेने पर वीर्य पतला हो जाता है तनाव में कमी आ जाति है!जिससे शीघ्रपतन आदि रोग लग जाते हैं और बाद में रोगी को नपुंसकता तक की नौबत आ जाती है! इलाज में उपरोक्त सभी विकार नष्ट होकर शरीर स्वस्थ संपन्न हो जाता है! जिससे शीघ्रपतन आदि रोग लग जाते हैं और बाद में रोगी को नपुंसकता तक की नौबत आ जाती है! इलाज में उपरोक्त सभी विकार नष्ट होकर शरीर स्वस्थ संपन्न हो जाता है!शुक्र हीनता
कई पुरुषों को यौन संबंधित कोई रोग नहीं होता अर्थात सहवास के समय उनके शीशम मैं उत्तेजना व तनाव सामान्य व्यक्ति जैसा होता है परंतु उनके वीर्य मैं संतान उत्पन्न करने वाले शुक्राणु या तो बिल्कुल नहीं होते या बहुत ही कमजोर व मंद गति से चलने वाले होते हैं जिससे वह संतान उत्पत्ति के योग नहीं माने जाते हैं क्योंकि शुक्र के बीज ना हो या निश्चल हो तो शुक्र संतान उत्पत्ति मैं समर्थ नहीं होता! कई बार शुक्र हीनता के साथ साथ भूल सकता अर्थनपुंसकता यास शीघ्रपतन का रोग भी हो जाता है अवस्था में सभी रोगों का इलाज आवश्यक हो जाता है!शीघ्रपतन
संभोग के समय तुरंत ही वीर्य का निकल जाना शीघ्रपतन कहलाता है! अत्याधिक स्त्री प्रसंग, हस्तमैथुन ,गुदामैथुन प्रमेह इत्यादि कारणों से ही यह रोग होता है! सहवास में लगभग 10 20 मिनट का समय लगता है लेकिन तीन-चार मिनट से पहले अगर रसखलन हो जाए तो इसे शिग्रपतन करो समझना चाहिए! जब यह रोग अधिकता होता है तो किसी सुंदर लड़की की शक्ल देखना या अन्य ख्यालातपैदा हो जाने या मुलायम कपूर की राजा से ही वीर्यपात हो जाता है! पहुंचने का मौका ही नहीं आता, अगर आता भी तो लिंग प्रवेश होते हैं र स्खलन हो जाता है! उस समय मर्द को कितना शर्मिंदगी उठानी पड़ती है! औरत की और आंख उठाकर देखने लायक भी नहीं रह जाता है! इस रोग के कारण मर्दअपने इरादे में नाकामयाब रहता है एवं इच्छा पूरी करने में असफल रहता है! यह एक अलग बात है शर्म और लज्जा के कारण कुछ दिनों तक कोई भी स्त्री मर्द की कमजोरी को किसी के सामने नहीं कह पाती है! लेकिन अंदर ही अंदर ऐसे कमजोर पति से घृणा करने लगती है! भाग्यशाली हैं, वे औरतें, जिनके पति सही शब्दों में मर्द है यानी दिल दिमाग और जोश से भी जवान है! यदि किसी का मर्द पूर्ण शब्दों में मर्द ना रहा तो उसकी स्त्री को भी चाहिए कि किसी योग्य चिकित्सक से उचित इलाज करवाने का सलाह देकर अपना सुख फिर से प्राप्त करें! समय रहते उचित इलाज अवश्य करा लेना चाहिए ताकि रहा सहा जोशएवं स्वास्थ्य भी ख़त्म ना हो जाए याद रखिए मर्द की कमजोरी और बीमारी से उसका औरत भी बीमार पड़ सकती है इलाज से सारी शिकायतें दूर हो जाती है और जीवन का सच्चा सुख एवं आनंद मिलता! संभोग का समय काफी बढ़ जाता! शरीर हष्ट पुष्ट तथा शक्ति संपन्न हो जाता है शरीर में तेजी, ताजगी और अपूर्व स्फूर्ति आ जाती है!प्रमेह( धातु चिंता)
प्रमेह पेशाब का रोग है पर इसका संबंधी शरीर से है! पाखाना या पेशाब के समय वीर्य का निकलना को प्रमेहा धातु चिंता कहते हैं! पैखाना के समय थोड़ा जोर लगाने से वीर निकल जाता है की शुरुआत कब्ज के कारण होती है! लेकिन बाद में यह रोग ज्यों-ज्यों बढ़ता जाता है क्यों वीर्य पतला पड़ता जाता है और वीर्य पानी के समान बहता है! धीरे धीरे रोगी यौवन खो बैठता है और शरीर थकान अनुभव करने लगता है! ऐसा पुरुष स्त्री को संतुष्ट नहीं कर सकता उत्तेजना नहीं होता है अर्थात शीघ्रपतन नामर्दों का रोग हो जाता है!सूजाक
एक ऐसा भयानक छत का रोग है सूजाक वाली स्त्री के साथ संभोग करने से पुरुष को और सुजाक वाले पुरुष के साथ संभोग करने से स्त्री को हो जाता है! यह रोग लोग बाजारू स्त्रियों से स्वयं खरीदते हैं! यदि मनुष्य बाजारू स्त्रियों से बच सके तो यह रोग से हमेशा के लिए बच सकता है! सुजाक का जहर शरीर में घुलाने के 2- 3 दिन बाद ही रोग के लक्षण प्रकट हो जाता है! शुरू शुरू में मूत्र नाली का मुंह खुल जाता है और सुरसुरता है! पेशाब लाल तथा गर्म होता है! पेशाब में थोड़ी जलन और कुछ मवाद आने लगता है बाद में सुजाक का असली रूप उत्पन्न होता है तथा पेशाब करते समय दर्द होने लगता सफेद पीला या हरा मवाद काफी आने लगता! सोते समय जननेंद्रिय उत्तेजित होने से रोगी को काफी कष्ट होता है! कुछ दिनों के बाद सभी तकलीफ है बढ़ जाती है! पीला या सफेद मवाद निकलते रहते हैं! गठिया बात भी सुजाक के जहर से उत्पन्न हो सकता! भयानक बीमारी है! ज्यादा पुराना हो जाने पर इस के कीटाणु रक्त में प्रवेश कर शरीर के अन्य अंगों पर आक्रमण करते हैं! इसलिए इस रोग के लक्षण प्रकट होते हैं फॉरेन इलाज करवाना चाहिए! जब तक रोग पूर्ण अच्छा ना हो जाए संभोग नहीं करना चाहिए! उपदंश (आतशक) सुजाक की तरह आतशक भी लोग भी लोग बाजारु स्त्रियों से स्वयं खरीदते हैं। यदि मनुष्य बाजारु स्त्रियों से बच सके तो इस रोग से हमेशा के लिए बच सकता है। आतशक वाली स्त्री के साथ संभोग करने से पुरुष को और आतशक वाले पुरुष के साथ संभोग करने से स्त्री को यह रोग लग जाता है। आतशक रेड में खुलने के बाद 10 दिन के अंदर ही रोग के लक्षण प्रकट हो जाते हैं। पहले इंद्री पर मसुर जैसा दाना होता है। दाना फैल कर जख्म बन जाता है। जख्म के चारों और का किनारा कठिन और ऊंचा तथा मध्य भाग धीरे-धीरे गहरा होता जाए तो इस कठिन आतशक और इसके विपरीत मामूली घाव हो तो साधारण आतशक कहलाता है परंतु दोनों हालात में कष्टदायक हैहमारे आयुर्वेदिक चिकित्सक ने इन औषधियों पर आविष्कार करके हर एक औषधियों को सही मात्रा और योग्य स्वरुप में मिश्रित करके अत्यंत असरकार “ MANPOWER ” का निर्माण किया है | “ MANPOWER ” को सरकारी आरोग्य विभाग (स्वास्थ्य विभाग) द्वारा प्रमाणित भी किया गया है | आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य कि यौवन शक्ति को वाजी (घोड़े) कि तरह ही बनाने कि प्रक्रिया ही पौरुष शक्ति को बढ़ाने वाली होती हे | इस MANPOWER का दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करने के बाद पुरुष यौन प्रदर्शन से सम्बन्धित सभी सुखों को प्राप्त कर सकता है, और इस समस्या का जड़ से हमेशा के लिये समधाना किया जां सकता है| आप जानते हैं की ख़राब खान पान, बुरी आदतें जैसे शराब , तम्बाकू, smoking, गुटखा आदि और अनिद्रा, काम का pressure, भय, चिंता आदि आपके शरीर को कमजोर बनांते हैं जिससे आप असमय बुढ़ापे और low energy का शिकार हो जाते हैं| “ MANPOWER ” में पायी जाने वाली वेशकीमती जड़ी बूटियाँ आपके शरीर और दिमाग सम्बन्धी सभी problems को ठीक करने की क्षमता रखती है | जब आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत अच्छी रहेगी तब आपकी प्रजनन क्षमता में भी सुधार होगा और आपको नामर्दी, स्तम्भन दोष, संभोग में अरुचि, शुक्राणु की कमी, नपुंसकता जैसी problems नहीं होंगी| “ MANPOWER ” में पाए जाने वाले घटक जैसे सफ़ेद मुस्ली, कौंच, अश्वगन्धा, यशद भस्म आदि आपकी शक्ति, स्टैमिना, एनर्जी लेवल, performance में सुधार करते हैं|
होनेवाले फायदे :
यह पुरुष की कमजोरी को नष्ट करता है.और बल की वृधि करता है.
यह थकवा नही आने देता ,और उम्र को बढ़ता है.बुढ़ापा नहीं आने देता .
शरीर की रोगप्रतिकारक शक्ति को बढाता है .
शीघ्रपतन या जल्द डिस्चार्ज हो जाना , ऐसी problem को दूर कर time को बढाता है ,और performanace को बेहतर बनाता है .
वीर्यदोष को मिटाता है , वीर्यगाढ़ा करता है,और sperm count को बढाता है , जिससे infertility में भी फायदा होता है .
जल्दी डिस्चार्ज से दिलाए राहत
जाने अनजाने में discharge हो जाना ,swapndosh जैसी प्रॉब्लम को दूर करता है.
नपुंसकता को खत्म करता है.
यह जोशवर्धक दवा है.
चिकित्सक स्वीकृत और अनुशासित
बिना कोई दुष्प्रभाव के साथ सुरक्षित

