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Title here गिलोय के स्वास्थ्य लाभ गिलोय के पत्ते पान के पत्ते की तरह होते हैं। गिलोय इतनी गुणकारी है कि इसका नाम अमृता रखा गया है। इसकी पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फास्‍फोरस और तने में स्टार्च पाया जाता है। यह वात, कफ और पित्तनाशक होती है। गिलोय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। साथ ही इसमें एंटीबायोटिक और एंटीवायरल तत्‍व भी होते है। खून की कमी दूर करें गिलोय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और शरीर में खून की कमी को दूर करता है। इसके लिए प्रतिदिन सुबह-शाम गिलोय का रस घी या शहद मिलाकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है। पीलिया में फायदेमंद गिलोय का सेवन पीलिया रोग में भी बहुत फायदेमंद होता है। इसके लिए गिलोय का एक चम्मच चूर्ण, काली मिर्च अथवा त्रिफला का एक चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से पीलिया रोग में लाभ होता है। या गिलोय के पत्तों को पीसकर उसका रस निकाल लें। एक चम्‍मच रस को एक गिलास मट्ठे में मिलाकर सुबह-सुबह पीने से पीलिया ठीक हो जाता है। जलन दूर करें अगर आपके पैरों में जलन होती है और बहुत उपाय करने के बाद भी आपको कोई फायदा नहीं हो रहा है तो आप गिलोय का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए गिलोय के रस को नीम के पत्ते एवं आंवला के साथ मिलाकर काढ़ा बना लें। प्रतिदिन 2 से 3 बार इस काढ़े का सेवन करें इससे हाथ पैरों और शरीर की जलन दूर हो जाती है। कान दर्द में लाभकारी गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है। साथ ही गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानों में दिन में 2 बार डालने से कान का मैल निकल जाता है। उल्टियां में फायदेमंद गर्मियों में कई लोगों को उल्‍टी की समस्‍या होती हैं। ऐसे लोगों के लिए भी गिलोय बहुत फायदेमंद होता है। इसके लिए गिलोय के रस में मिश्री या शहद मिलाकर दिन में दो बार पीने से गर्मी के कारण से आ रही उल्टी रूक जाती है। पेट के रोगों में लाभकारी गिलोय के रस या गिलोय के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से पेट से संबंधित सभी रोग ठीक हो जाते है। इसके साथ ही आप गिलोय और शतावरी को साथ पीस कर एक गिलास पानी में मिलाकर पकाएं। जब उबाल कर काढ़ा आधा रह जाये तो इस काढ़े को सुबह-शाम पीयें। खुजली दूर भगाएं खुजली अक्‍सर रक्त विकार के कारण होती है। गिलोय के रस पीने से रक्त विकार दूर होकर खुजली से छुटकारा मिलता है। इसके लिए गिलोय के पत्तों को हल्दी के साथ पीसकर खुजली वाले स्थान पर लगाइए या सुबह-शाम गिलोय का रस शहद के साथ मिलाकर पीएं। आंखों के लिए फायदेमंद गिलोय का रस आंवले के रस के साथ मिलाकर लेना आंखों के रोगों के लिए लाभकारी होता है। इसके सेवन से आंखों के रोगों तो दूर होते ही है, साथ ही आंखों की रोशनी भी बढ़ती हैं। इसके लिए गिलोय के रस में त्रिफला को मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में पीपल का चूर्ण और शहद मिलकर सुबह-शाम सेवन करें। बुखार में फायदेमंद गिलोय एक रसायन है जो रक्तशोधक, ओजवर्धक, हृदयरोग नाशक ,शोधनाशक और लीवर टोनिक भी है। गिलोय के रस में शहद मिलाकर लेने से बार-बार होने वाला बुखार ठीक हो जाता है। या गिलोय के रस में पीपल का चूर्ण और शहद को मिलाकर लेने से तेज बुखार तथा खांसी ठीक हो जाती है। गिलोय मोटापा कम करने में भी मदद करता है। मोटापा कम करने के लिए गिलोय और त्रिफला चूर्ण को सुबह और शाम शहद के साथ लें। या गिलोय, हरड़, बहेड़ा, और आंवला मिला कर काढ़ा बनाकर इसमें शिलाजीत मिलाकर पकाएं और सेवन करें। इस का नियमित सेवन से मोटापा रुक जाता है। यह जड़ी बहुत ही उपयोगी है. यह सम्पूर्ण भारत में क्लाइंबर (climber) की तरह जो जंगल के क्षेत्रों पाई में जाती है. कई घरों और निजी खेती में भी शतवारी का पौधा पाया जाता है. इस पौधे की जड़ अपने आप में अनेक औषधीय गुण लिए हुए है. इस पर सफेद रंग के खुश्बुदार फूल और लाल रंग के बहुत छोटे फल लगते हैं. ये फल वास्तव में ज़हरीले होते हैं. इस पौधे की जड़ी औषधीय रूप में आयुर्वेद में प्रयोग होती है. यह पित्त-शामक औषधि वास्तव में स्त्रीयों के लिए बहुत लाभदायक है. यही नही, परन्तु पुरुषों में भी इसके अनेक लाभ हैं और यह एक टॉनिक होने के साथ-साथ, आंतरिक शोथ का शामन कर सभी विशिष्ट अंगों (vital organs) को चिर काल तक स्वस्थ रखती है. इस औषधि के सेवन से यकृत (liver), पित्ताशय (gall- bladder), पेट और अन्य अंगों की आंतरिक परत पर उपशामक असर करता है इसलिए यह औषधि शोथ का निवारण करने में भी सक्षम है.

Title Hereविश्व के कई क्षेत्रों में इस औषधि का प्रयोग घाव की सफाई के लिए किया जाता है. शतवारी फेफड़ों (lungs) में जलन और इनमें दमा जैसी दिक्कत से आई तकलीफ़ के कारण आए शोथ को शांत करने में भी सहयता करती है. यदि पित्त के बढ़ने से शरीर में ख़ासकर रक्त या शरीर के रसों में यह तकलीफ़ उत्पन्न हुई हो तो शतवारी का प्रयोग अत्यंत सहायक है. यह मस्तिष्क के स्नायु तंत्र की नसों को भी आराम और पोषण प्रदान करती है. शरीर में जकड़न, दर्द, अनिद्रा इत्यादि मानसिक तनाव एवं वातज विकृति से उत्पन्न समस्यायों को भी शतावरी के सेवन से लाभ मिलता है. शतावरी से ओजस का निर्माण भी होता है जो शरीर, मन और बुद्धि को रूप से उर्जा प्रदान करता है. यह रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ाने के लिए भी सहायक है. वास्तव में यह औषधि एक रसायन है जो शरीर को हर प्रकार से पुष्टि प्रदान करती है. इस औषधि के द्वारा मन में सात्विक भावनाएँ भी जागृत होती हैं. इसके सेवन से आध्यात्मिक प्रेम फलीभूत होता है. यह पुराने बुखार को ठीक करने में भी समर्थ है. माहवारी के शुरू होने से लेकर माहवारी के समाप्त हो जाने तक शतावरी के औषधीय गुण महिलायों को लाभ देती है. ये गर्भवती महिलायों में दूध की वृद्धि करती है. साथ ही गर्भाशय के स्वास्थ्य को सुधारने में सहायता करती है. पुरुषों में भी रसों को बढ़ाने में शतावरी सहायता करती है तथा इससे शुक्राणु की संख्या और शक्ति दोनो में वृद्धि पाई जाती है. शतावरी का सेवन शतावरी की जड़ को सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर इसका सेवन किया जाता है. परंतु शतावरी से बना औषधीय घृत भी निर्मित किया जाता है जिससे इसकी औषधीय क्षमता का भरपूर फायदा सेवानकर्ता को मिलता है. शुरू में केवल इस औषधि का एक चौथाई चम्मच लेना शुरू करें. धीरे-धीरे जैसे-जैसे शरीर में इस औषधि के प्रति सामंजस्य जब बन जाए तो बढ़ा कर इसकी मात्रा आधा चम्मच कर दें. इसे दूध और घी के साथ लेना चाहिए. यह अश्वगंधा के साथ लेने से महिलायों को बहुत लाभ देती है और दूध के साथ दोनो का सेवन करने से महिलयों को स्वास्थ में बहुत लाभ मिलता है. किन्ही एक विशेषज्ञ मानते हैं कि संतान उत्पत्ति से पहले कम-से-कम 4 साल तक नियमित रूप से शतवारी, अश्वगंधा और हल्दी का सेवन बराबर मात्रा में करने के बाद ही वास्तव में एक स्वस्थ संतान को जन्म देने के काबिल स्त्री का शरीर बनता है. साथ ही योगाभ्यास चले तो यह सर्वोत्तम स्थिति है. प्रयोग निषेध शतावरी का प्रयोग मूत्रवर्धक औषधियों के साथ नही करना चाहिए. जिन लोगों को शतावरी से एलर्जी हो, उन्हें भी इसका उपयोग नही करना चाहिए. जिनके शरीर में कफा की अधिकता है तथा जिनमें संकुलन, अतिप्रजन या आम की वृद्धि हो, उनमें इसका इस्तेमाल नही किया जाना चाहिए.

title hereअश्वगंधा सैकड़ों वर्ष से एक हर्बल उपचार के रूप में उपयोग में लाया जाता है। न केवल भारत में, बल्कि नेटिव अमेरिकिन और अफ्रीकन भी सूजन और बुखार का इलाज और संक्रमण के खिलाफ संरक्षण के रूप में इसका उपयोग कर रहे है। अश्वगंधा भारतीय जिनसेंग (औषधीय पौधा जो दक्षिण एशिया और उत्तर अमेरिका में पाया जाता है) के रूप में जाना जाता है और इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है जैसे कि एशियन जिनसेंग पारंपरिक चीनी चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है। अश्वगंधा चाय पौधो की जड़ों और पत्तियों से बनी होती है और स्वास्थ्य लाभ के लिए भी उपयोग में लाई जाती है। यह चाय आसानी से एक पोने घंटे के लिए पानी में सूखी जड़ी बूटी को उबालने और फिर इसको छानने के द्वारा घर पर आसानी से बनाई जा सकती है। पौधे की जड़ बड़े पैमाने पर वजन में कम से कम तीन ग्राम होनी चाहिए, और यह मात्रा तीन से चार कप चाय बनाने के लिए चाहिए। क्‍या है अश्वगंधा अश्वगंधा टमाटर के रूप में एक ही संयंत्र परिवार से एक झाड़ी (पौधा) है। इसमें फ्लेवोनॉइड और एंटीऑक्सीडेंट की तरह कई लाभकारी तत्व है। अनुसंधान से पता चलता है कि यह मस्तिष्क में न्यूरोलॉजिकल ट्रांसमिशन में सुधार लाने में मदद करता है। स्कूल जाने वाले बच्चों नें याददाश्त में सुधार आने जैसे लाभो के बारे में कहा है और हर सुबह नियमित रूप से अश्वगंधा चाय के सेवन द्वारा ज्ञान को स्वीकार किया है। आइए जानें अश्‍वगंधा आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए कैसे फायदेमंद है। एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर अश्वगंधा के एंटीऑक्सीडेंट गुण जाहिरा तौर पर एलडीएल ऑक्सीकरण में कमी लाते है, जिससे हृदय रोग के विकास के जोखिम में कमी आती है यदि नियमित रूप से यह लिया जाता है। अश्वगंधा के एक अन्य लाभ मधुमेह रोगियों के लिए मोतियाबिंद को रोकना है। मोतियाबिंद दुनिया में अंधापन का एक प्रमुख कारण हैं, और भी मधुमेह रोगियों के लिए एक विकलांगता के प्रमुख स्रोत हैं। जिनसेंग और जिनसेंग की तरह अश्वगंधा जड़ी बूटी ओस्सिडेटिव प्रक्रियाओं को रोकती है जोकि मोतियाबिंद को विकसित करने का कारण हो सकता है। अश्वगंधा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कैंसर को रोकने में भी मदद कर सकता है, हालांकि एक डॉक्टर के परामर्श के बिना कभी भी सप्लीमेंट नही लिया जाना चाहिए। अल्‍जाइमर रोग का उपचार करें यह अल्जाइमर रोग के उपचार में भी सहायक पाया गया है। फिलिस बाल्च के अनुसार, एक प्रमाणित पोषण विशेषज्ञ के मुताबिक, यह जड़ी बूटी मस्तिष्क उपयोगी एक्टेल्कोलाइन, जो एक रसायन है संशोधित करने के द्वारा सही समृति हानी में मदद करता है, जो तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संदेश पहुंचाता है। यह आश्चर्यजनक जड़ी बूटी अपनी ही कोशिकाओं को नष्ट करने से मस्तिष्क को बचाने की मदद करता है, स्मृति हानि और संज्ञानात्मक हानि को रोकता है। गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद गर्भवती माताओँ को इसके सेवन के लिए अत्यधिक सिफारिश की गई है। यह मां के रक्त को शुद्ध करने और उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए भी जाना जाता है पारंपरिक आयुर्वेदिक दवाइयों को प्रसव के दौरान अश्वगंधा चाय का उपयोग करते है क्योंकि यह एक गर्भाशय शामक है। मन को शांत करें अश्वगंधा को एक हल्के शामक के रूप में भी जाना जाता है चूंकि यह मन को शांत करता है और आरामदायक नींद को बढ़ावा देते है। यह एक टॉनिक के रूप में आयुर्वेदिक चिकित्सा में तनाव को रोकने और सहनशक्ति को बढ़ाता है। एंटी-एजिंग भी है अश्‍वगंधा इसमें एंटी-एजिंग लाभ भी है चूंकि यह ऊतको के पुनर्जनन को बढ़ावा देता है और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। 2,500 से अधिक वर्षों के लिए, अश्वगंधा को एक एडेपटोजेन के रूप में उपयोग किया जाता है, जिसका अर्थ है कि यह दिमाग औऱ शरीर को तनाव से उभरने में मदद रकता है। यह फिर से युवा, संतुलन, मजबूत और तंत्रिका तंत्र को शांत करने के लिए उपयोग किया जाता है। स्वाभाविक रूप से अश्वगंधा में स्टेरॉयड होता है जो विभिन्न स्थितियों में लाभकारी है जैसे कि गठिया और कार्पन टनेल सिंड्रोम के उपचार में लाभकारी है। ये प्राकृतिक स्टेरॉयड ऐसे इनफ्लेम्मेटरी स्थितियों के साथ जुड़े दर्द को कम करने में विशेशरूप से लाभकारी हो सकती है। हालांकि, यहां इस जड़ीबूटी के के लिए स्वास्थ्य लाभो का समर्थन करने के लिए कई शोध किये गए है, यह उचित होगा कि अश्वगंधा चाय के साथ किसी भी गंभीर चिकित्सा स्थिति के उपचार से पहले चिकित्सक से परामर्श करें।

ऐलोवरा के फायदे (Benefits Of Aloe Vera): ग्लोइनिंग और आकर्षक त्वचा : ऐलोवेरा का इस्तेमाल कई ब्यूटी प्रोडक्टस में त्वचा को ग्लोंइनिग और आकर्षित बनाने के लिए किया जाता है । लेकिन आप सीधा ऐलावेरा के गुदे का इस्तेमाल भी अपनी त्वचा को निखारने के लिए कर सकते है । मुहांसे और काले धब्बें : ऐलोवेरा को रोजाना चेहरे पर लगाने से कीले मुहांसे और काले धब्बों से छुटकारा मिलता है । ऐलोवेरा में मौजूद पोषक तत्व त्वचा की मरम्मत कर नए सेल्स को उभारने में मदद करते है । मसूड़ो और दांतो की सफाई : रोजाना हम कई चीजों का सेवन करते है जिसके कारण हमारे दांतो में कैविटी की समस्या उत्पन्न होती है साथ ही हमारे दांत अपनी चमक भी खो देते है । अगर आप भी इस समस्या से परेशान है तो ऐलोवेरा के इस्तेमाल से आप अपनी इस समस्या को खत्म कर सकते हैं । ऐलोवेरा को दांत में लगाने से कमजोर मसूड़ें मजबूत होने लगते है साथ ही दांतो की रंगत लौटने लगती है । ऐलोवेरा जूस के फायदे (Benefits Of Aloe Vera Juice): कब्ज में राहत : साफ जगह से खाना न खाने या जंक फूड का सेवन ज्यादा करने से आए दिन कब्ज की समस्या होना आम बात है । ऐसे में ऐलोवेरा जूस पीना फायदेमंद साबित होता है । ऐलोवेरा जूस पाचन क्रिया में सुधार करता है ।और कब्ज की समस्या से निजात दिलाता है । हाइ बीपी : हाइ बीपी के रोगियों को ऐलोवेरा जूस पीने से बीपी लेवल को सामान्य करने में मदद मिलती है । लेकिन जूस पीने से पहले डॉक्टर से सलाह जरुर लें । शुगर : शुगर के रोगियों को रोजाना ऐलोवेरा का जूस पीने से शुगर लेवल को सामान्य करने में मदद मिलती है । साथ ही ऐलोवेरा जूस धीरे – धीरे शुगर को ठीक कर रोगी को स्वस्थ बनाने में भी मदद करता है । गठिया : घुटनों में दर्द , कमर में दर्द , आर्थराइटिस गठिया में ऐलोवरा जूस पीना काफी फायदेमंद माना जाता है । ऐलोवेरा जेल के फायदे और इस्तेमाल (Benefits Of Aloe Vera Gel and Uses): मोटापा कम करता है : अक्सर लोग वजन घटाने के लिए कई तरह की मशीनों दवाइयों का इस्तेमाल करते है । मोटापे से परेशान लोगों के लिए ऐलोवेरा जूस काफी फायदेमंद माना जाता है । रोजाना ऐलोवेरा जूस पीने से आपको स्वंय अपने मोटापा कम होता नजर आएगा । बालों की मजबूती : ऐलोवेरा जेल को बालों में लगाने से बालों के टूटने और झड़ने की समस्या खत्म हो जाती है । साथ ही ऐलोवेरा जेल बालों को आकर्षक और खूबसूरत बनाने में भी मदद करता है । शेव के बाद : शेव करने के बाद अगर चेहरे पर कोई कट लग जाए या जलन महसूस हो तो उस पर ऐलोवेरा जूस लगाने से राहत मिलती है । सावधानियां (Restriction to Drinking Aloe Vera Juice): 1.ऐलोवेरा जूस ह्दय रोगी न लें ये हानिकारक हो सकता है 2.ऐलोवेरा जूस गर्भवती महिला , स्तनपान कराने वाली महिला और 12 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं देना चाहिए ।

Title hereनीम पत्ते के फायदे हमेशा संक्रमण से बचाए अगर आप अकसर संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं तो नीम की कोंपलों को एक माह तक चबाएं। इस ऋतु में पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नये आते हैं, जो हल्के लाल रंग के होते हैं। यही कोंपल कहलाते हैं। इनकी दो-तीन पत्तियां ले लें और धोकर चबा जाएं। ज्यादा कड़बी लगे तो अगले दिन से थोड़ी अजवाइन के साथ चबाएं। इससे पूरे साल संक्रमण की समस्या से सुरक्षित रहेंगे। त्वचा के पुराने रोगों में फायदेमंद सूखे पत्तों का चूर्ण और आंवले का चूर्ण मिलाकर घी में मिला लें और त्वचा के उस हिस्से पर लगाएं, बहुत जल्द लाभ होगा। नीम की सींक भोजन करते समय भोजन का अंश दांतों में फंस जाय तो उसे धातु से बनी चीज से न निकालें। नीम की सींक अधिक उपयोगी और सुरक्षित है। सांस की बदबू दूर करे मसूढ़े बार-बार फूलें, ठंडा-गर्म लगे, सांस से बदबू आए तो नीम के पत्ते तोड़कर धोकर साफ कर खूब उबाल कर ठंडा कर सहन करने लायक पानी से कुल्ला करना फायदेमंद होता है। जब बुखार लग जाए बुखार लग जाए तो इसके पत्ते को जला कर धुंआ करना या इसकी छाल का काढ़ा बनाकर पीना लाभकारी होता है। दांतों-मसूढ़ों की तकलीफ में फायदेमंद नीम की लकड़ी की दातुन करने से दांत व मसूढ़े मजबूत होते हैं, पायरिया, मुंह की बदबू नष्ट होती है। मसूढ़ों की सूजन, खून आना बन्द होता है। दांतों व मसूढ़ों की समस्त बीमारियों में इससे लाभ होता है। याद रखें इसके सेवन से कोई नुकसान नजर आये तो गाय का दूध या गाय का घी प्रयोग कर उस दुष्प्रभाव से मुक्त हो सकते हैं। अगर दूध या घी न मिले तो सेंधा नमक चूसना फायदेमंद साबित होता है।

Title hereतुलसी के घरेलू नुस्खे 1. बारिश के मौसम में रोजाना तुलसी के पांच पत्ते खाने से मौसमी बुखार व जुकाम जैसे संभावनाएं दूर रहती है। 2. तुलसी की कुछ पत्तियो के चबाने से मुँह का संक्रमण दूर हो जाता है, मुंह के छाले दूर होते है व दांत भी स्वस्थ रहते है। 3. दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में रोजाना तुलसी खाने और तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनो मे रोग दूर हो जाता है। 4. तुलसी की जड़ का काढ़ा ज्वर (बुखार) नाशक होता है। तुलसी, अदरक और मुलेठी को घोटकर शहद के साथ लेने से सर्दी के बुखार में आराम होता है। 5. मासिक धर्म के दौरान कमर मे दर्द हो रहा है तो एक चम्मच तुलसी का रस ले। इसके अलावा तुलसी के पत्ते चबाने से भी मासिक धर्म नियमित रहता है। 6. सिर का भारी होना, पाइनस, माथे का दर्द, आधाशीशी, मिर्गी, नासिका रोग, केरमी रोग तुलसी से दूर होते हैं। 7. सांस रोग में तुलसी के पत्ते काले नमक के साथ सुपारी की तरह मुँह से रखने से आराम मिलता है। तुलसी की हरी पत्तियों को आग पर सेंक कर नमक के साथ खाने से खाँसी तथा गला बैठना ठीक हो जाता है। 8. खांसी – जुकाम में तुलसी के पत्ते, अदरक और काली मिर्च से तय्यार की हुई चाय से तुरंत लाभ पहुँचता है। 9. तुलसी दमा टीबी मैं बहुत लाभकारी हैं. तुलसी के नियमित सेवन से दमा, टीबी नहीं होती हैं क्यूकी यह बीमारी के जिम्मेदारी कारक जीवाणु को बढ़ने से रोकती है। चरक संहिता में तुलसी को दमा की औषधि बताया गया हैं। 10. तुलसी और अदरक का रस एक चमच, शहद, मुलेठी का चूरन एक चम्मच मिलाकर सुबह शाम चाटे, यह खांसी की अचूक दवा है। 11. यदि कब्ज हो तो काली तुलसी का स्वरस (10 ग्राम) और गौ घी (10 ग्राम) दोनो को एक कटोरी में गुनगुना करके इस पूरी मात्रा को दिन में 2 या 3 बार लेने से कब्ज से आराम मिलता है। 12. तुलसी सोंठ के साथ सेवन करने से लगातार आने वाला बुखार ठीक होता है। 13. तुलसी, अदरक मुरेठी सबको घोटकर शहद के साथ लेने से सर्दी के बुखार में आराम होता है। 14. औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के रस मैं thiamine तत्व पाया जाता है। जिससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है। 15. इसकी पत्तियों का रस निकल कर बराबर मात्रा में नींबू का रस मिलाए और रात को चेहरे पर लगाये तो झाइया नही रहती, फुंसिया ठीक होती है और चेहरे की रंगत मैं निखार आता है। 16. दाद, खुजली और त्वचा की भूत की प्रॉब्लम्स में तुलसी के आरक को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है। 17. कुष्ठ रोग या कोढ़ में तुलसी की पत्तियां रामबाण सा असर करती हैं. खाएं तथा रस प्रभावित स्थान पर भी लगाए। 18. उठते हुए फोड़े में तुलसी के बीज एक माशा तथा दो गुलाब के फ़ुल एक साथ पीसकर ठंडाई बनाकर पीते हैं। 19. घावों को शीघ्र भरने के लिए तुलसी के पत्ते का काढ़ा बनाकर उसका ठंडा लेप करते हैं। 20. सिर से दर्द में प्रातः काल और शाम को एक चौथाई चमच भर तुलसी के पत्तों का रस, एक चम्मच शुद्ध शहद के साथ नित्ये लेने से 15 दीनो मैं रोग पूरी तरह ठीक हो सकता है। 21. तुलसी का रस आँखों के दर्द, रात्रि अंधता सामान्यता विटामिन ‘A’ की कमी से होता है के लिए अत्यंत लाभदायक है। 22. आंखों की जलन में तुलसी का अर्क बहुत कारगर साबित होता है. रात में रोजाना शाम तुलसी के अर्क को दो बूँद आँखो में डालना चाहिए। 23. तुलसी गुर्दे को मजबूत बनाती है। किडनी की पथरी मैं तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया जूस (तुलसी के अर्क) शहद के साथ नियामत 6 month सेवन करने से पथरी मूत्र के मार्ग से बाहर निकल जाता है। 24. तुलसी के 10 पत्ते, पांच काली मिर्च और चार बादाम गिरी सबको पीसकर आधा गिलास पानी में एक चमच शहद के साथ लेने से सभी प्रकार के दिल रोग ठीक हो जाते हैं। 25. तुलसी की 4 – 5 पत्तियां, नींम की दो पत्ती के रस को 2 – 4 चम्मच पानी में घोल के पांच – सात दिन प्रातः: खाली पेट सेवन करें, उच रक्तचाप ठीक होता है।

Title hereयह मनोदशा को नियंत्रित करने में सहायता देती है (Anti-Depressant) : जिन लोगों को हल्दी की औषधि अवसाद और घबराहट को रोकने के लिए दी गयी, ये पाया गया की 7 हफ्तों बाद उनकी दशा में काफ़ी सुधार आया जबकि जिन्होने कोई औषधि नही ली, उनमें कोई भी सुधार नही पाया गया. चोट को ठीक करने की अद्भुत क्षमता (Wound-healer): यदि आपको चोट लग गयी है या फिर सूजन आ गयी है तो हल्दी के उपयोग से आपको सामान्य से कही जल्दी आराम आ जाएगा. वैज्ञानिक मानते हैं यह हल्दी में मौजूद कुरकुमीन नामक तत्व की वजह से है. दर्द-निवारक (Anti-pain): इब्यूप्रोफन (Ibuprofen) नामक अंग्रेज़ी दवा के साथ तुलनात्मक शोध (comparative study) में यह पाया गया की हल्दी गठिया जैसी बीमारी के मरीजों में बराबर मात्रा से दर्द-निवारण करने में प्रभावशाली है. यही नही, हल्दी का उपयोग कर रहे गुट के व्यक्तियों के जोड़ों में तनावरोधी प्रभाव भी हल्दी के कारण पाया गया है. साथ ही ब्रुफेन के दुष्प्रभाव से भी यह गुट सुरक्षित रहा. पित्ताशय के ऑपरेशन के उपरांत मरीज़ों को हल्दी के सेवन से दर्द और ऑपरेशन के कारण आई थकावट की निवृत्ति में भी अत्यंत लाभ मिला. खून में शुगर की मात्रा को संतुलित करने में प्रभावशाली(Diabetic-controller): हल्दी के सेवन के उपरांत शोधकर्तायों ने पाया कि इससे इंसुलिन (insulin) नामक हारमोन के स्राव में बढ़ोतरी होती है तथा इससे इंसुलिन की कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी होती है. इस कारण वैज्ञानिक ऐसा सोचते हैं कि भविष्य में कुरकुमीन से मधुमेह-नाशक दवाएँ भी बनाई जा सकती हैं. उपशामक गुणवत्ता(Anti-inflammatory): हल्दी में उपशामक होने के गुण पाए गये हैं. यदि किसी भी कारण से शरीर के किसी भाग में शोथ उत्पन्न हो जाए तो हल्दी के उपयोग द्वारा ये पाया जाता है कि जलन और शोथ धीरे-धीरे कम हो जाते हैं. वैज्ञानिकों द्वारा यह समझा जाता है की शोथ (inflammation) कार्य में सहायक कॉक्स 2 (COX-2), लिपो ऑक्सीजेनेस (Lipo-oxygenase) और नाइट्रिक ऑक्साइड सिनथेटेज़ (Nitric oxide Synthetase) नामक किन्वक (enzyme) तत्वों के उत्पादन को कम करके हल्दी अपना कार्य करती है. गठिया से दिलाए निजात (Anti-arthritic): हल्दी के उपयोग से मिलता है गठिया जैसी तकलीफ़ से निजात. डिकोल्फ़ेनाक के मुक़ाबले में हल्दी की गुणवत्ता का मुकाबला किया गया तो यह पाया गया हल्दी दर्द निवारण में डाइक्लोफेनॅक (Diclofenac) से अधिक प्रभावशाली है और इसके प्रयोग से आल्लोपथिक (Allopathic) दवा के भयंकर दुष्प्रभावों से भी बचाव मिलता है. कोलेस्टेरोल के बढ़ी हुई मात्रा को कम करती है (Cholesterol-regulator): हल्दी के सेवन स रक्त में बढ़ा हस कोलेस्टरॉल कम हो जाता है. पहले ये विचार रूप से प्रस्तुत किया जाने वाला तथ्य अब अनेक शोधों(researches) में सटीक पाया गया है. विटामिन ई (Vitamin E) के मुक़ाबले में थोड़ी सी मात्रा हल्दी के उपयोग से रोगियों के खून में कोलेस्टरॉल की मात्रा लगभग 47 प्रतिशत कम थी. इसी तरह से जब एक अन्य शोध में एक हफ्ते तक हल्दी के प्रयोग के बाद कोलेस्टेरोल की मात्रा 12 प्रतिशत गिरावट पाई गयी. यही नही बल्कि यह भी पाया गया कि एल डी एल (LDL) की मात्रा में कमी थी और एच डी एल (HDL) की मात्रा बढ़ कर 33 प्रतिशत हो चुकी थी. इससे पता चलता है यह औषधि प्रकृति का कितना बड़ा वरदान है. हल्दी के प्रयोग से पेट में अल्सर हो कम (Anti-Ulcer): हल्दी के प्रयोग द्वारा पेट में अल्सर को बड़ी जल्दी आराम आता है. खाने में इसका प्रयोग करने से पाचक शक्ति पर भी सकारात्मक असर पड़ता है. अम्लता (Acidity) बढ़ाने वाले तत्वों के साथ जब हल्दी भी लैब में परीक्षित जानवरों को दी गयी तो यह पाया गया कि अल्सर से बचाव करने में हल्दी बहुत उपयोगी है. सावधानी यदि आपके पित्ताशय में पथरी है तो हल्दी का प्रयोग न करें. जिनकी प्रकृति गर्म है, उन्हें हल्दी आयुर्वेदीय सलाह के बाद ही उचित रूप से लेनी चाहिए ताकि आपको इसका लाभ मिल सके. क्योंकि यह खून को पतला करती है, इसलिए कुछ आल्लोपथिक दवायों (anti-coagulants- warfarin) के साथ इसका उपयोग वर्जित है.

आंवले के फायदे एक स्वस्थ लाइफ के लिए आंवला सबसे ज्यादा उपयोगी होता है। आंवले में मौजूद गुण: आंवले में आयरन, गैलिक एसिड, टैनिक एसिड, कैल्शियम, क्रोमियम, केरोटिन, फास्फोरस, फाइबर, प्रोटीन, विटामिन–ए, विटामिन सी, एंटी-ओक्सिडेंट और एंटी –एजिंग जैसे खनिज पदार्थ और पोषक तत्व पाए जाते है जो त्वचा में चमक लाने, बालों की ग्रोथ के लिए, बालों को असमय सफेद होने से रोकने, कोलेस्ट्रोल को कंट्रोल करने, मधुमेह और अस्थमा को नियंत्रित करने और पाचन शक्ति को बढ़ाने के साथ-साथ कई और फायदे पहुंचाता है। आवंला के औषधिये गुण: आंवले में क्रोमियम नाम का खनिज पदार्थ पाया जाता है जो डायबिटीज के मरीजों को फायदा पहुंचाता है। क्रोमियम हमारे शरीर में इंसुलिन बनाने वाले सेल्स को ऐक्टिवेट करता है जिससे शरीर में ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है। रोजाना रात को एक गिलास गुनगुने पानी या फिर दूध में एक छोटा चम्मच आंवला पाउडर मिलाकर पिए। एक हफ्ते में ही सुगर लेवल कण्ट्रोल हो जायेगा। आंवला खाने से आँखों के लिए लाभ: खाने में भरपूर पोषक तत्वों के आभाव, बहुत ज्यादा तनाव, अत्यधिक तेज रोशनी के प्रभाव में ज्यादा रहने से या फिर लगातार टी।वी। या कंप्यूटर को देखने से आँखों में इन्फेक्शन, आँखों की रोशनी का कम होना और मोतियाबिंद जैसी कष्टकारी समस्या हो जाती है। आंवला में मौजूद विटामिन-a, विटामिन-c और केरोटिन आँखों की रोशनी तेज करने और मोतियाबिंद को ठीक करने में बहुत ही इफेक्टिव होता है। रोजाना एक गिलास गुनगुने दूध में एक चम्मच आंवला पाउडर और एक छोटा चम्मच शहद मिलाकर कर पिए। अगर बच्चो को आंवला दे रहे है तो केवल आधा चम्मच ही दे। व्यस्क के मुकाबले बच्चो की क्वांटिटी आधी ही रखे। आंवला चूर्ण के फायदे बालो के लिए: आंवले में संतरे से लगभग 20 गुना ज्यादा विटामिन c होता है जो बालो को मजबूत बनाने, हेयर ग्रोथ के लिए, बालो में चमक लाने के लिए और रुसी से रोकथाम करने में बहुत ही उपयोगी होता है। बालो के लिए आंवले को दो तरह से इस्तेमाल कर सकते है। रोजाना रात को सोने से पहले एक टी-स्पून आंवला पाउडर को एक गिलास गुनगुने दूध में मिलाकर पिए। सूखा आंवला या फिर आंवला पाउडर को जैतून(olive) के तेल में मिला कर बालो की जड़ो से टिप तक लगा कर आधे घंटे तक छोड़ दे फिर किसी हर्बल शैम्पू से या फिर अपने रेगुलर शैम्पू से बालो को धो ले। इसे हफ्ते में 2 से 3 बार अप्लाई करे। बलों के झड़ने, रूखे-बेजान होने से राहत मिलेगी और नए बालो की ग्रोथ होने लगेगी। स्किन के लिए आंवला: आंवले में एंटी-ओक्सिडेंट और एंटी एजिंग गुण होते है जो चेहरे से दाग-धब्बे, झुर्रिया, टैनिंग, कील-मुहांसो और डार्क-स्पॉट्स को तेजी से जड़ से खत्म करता है। कैसे बनाए आंवला का उबटन: एक बाउल में दो tea स्पून आंवला पाउडर, एक टेबल स्पून गुलाबजल और दो tea स्पून एलोवेरा जैल डालकर अच्छा सा पेस्ट बना ले। इसे अपने हाथो से पुरे फेस पर लगाये और 3 से 4 मिनट तक सर्कुलर फॉर्म में रब करे और 15 मिनट के लिए छोड़ दे। नार्मल पानी से अपना फेस धो ले। हफ्ते में 2 से 3 बार अप्लाई करे स्किन glowing और चमकदार बनने लगेगी। दिल के रोगों से करे बचाव: आंवला दिल के लिए बहुत लाभकारी होता है ये दिल की रक्त धमनियों में जमे एक्स्ट्रा वसा को कम करके कोलेस्ट्रोल लेवल कण्ट्रोल करता है। बेड कोलेस्ट्रोल को खत्म करके गुड कोलेस्ट्रोल को बढावा देता है। धमनियों में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करता है जिससे हार्ट अटैक होने का खतरा नहीं होता। आंवला ब्लड प्रेशर कण्ट्रोल में रहता है। मांसपेशियां मजबूत बनाता है।